दीवाली का महत्व और पौराणिक कथा | History & Significance of Diwali

दीवाली का महत्व, पौराणिक कथा, इतिहास और सांस्कृतिक महत्व जानें। पढ़ें क्यों मनाई जाती है दीवाली और इसका आध्यात्मिक व सामाजिक प्रभाव।

दीवाली का महत्व और पौराणिक कथा | History & Significance of Diwali
दीवाली का महत्व और पौराणिक कथा | History & Significance of Diwali

दीवाली का महत्व: रोशनी और खुशियों का पर्व

भारत में त्योहार सिर्फ तिथियों का उत्सव नहीं, बल्कि भावनाओं और परंपराओं का संगम होते हैं। दीवाली का महत्व इसीलिए विशेष है क्योंकि यह अंधकार से प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और निराशा पर आशा की जीत का प्रतीक है। यह वह समय है जब घर-आंगन दीपों से जगमगाते हैं, रिश्तों में मिठास घुलती है और हर दिल में नई उमंग जागती है।

दीवाली का इतिहास | History of Diwali

दीवाली का इतिहास हजारों साल पुराना है। संस्कृत में इसे “दीपावली” कहा जाता है, जिसका अर्थ है दीपों की पंक्ति। यह पर्व पांच दिनों तक मनाया जाता है और हर दिन का अलग महत्व होता है।

ऐतिहासिक मान्यता के अनुसार, यह पर्व रामायण की उस घटना से जुड़ा है जब भगवान राम 14 साल का वनवास पूरा कर रावण का वध करके अयोध्या लौटे। नगरवासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया, और वही परंपरा आज भी History of Diwali के रूप में मनाई जाती है।

दीवाली की पौराणिक कथा | Diwali ki Pauranik Katha

भगवान राम और रावण की कथा

दीवाली की पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेतायुग में रावण का आतंक पूरे जगत में फैल गया था। वनवास के दौरान रावण ने सीता हरण किया, जिसके बाद भगवान राम ने हनुमान, लक्ष्मण और वानर सेना की मदद से रावण का वध किया।
अयोध्या लौटने पर नगरवासियों ने दीपों की पंक्तियां सजाईं, जिससे अंधकार मिट गया। यह दिन आज भी Significance of Diwali का सबसे बड़ा प्रतीक है।

माँ लक्ष्मी का प्राकट्य

एक अन्य मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के समय माँ लक्ष्मी प्रकट हुईं। इस दिन उन्हें धन, सौभाग्य और समृद्धि की देवी के रूप में पूजा जाने लगा। इस कारण दीवाली पर लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है।

नरकासुर वध

कृष्ण भक्तों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने दीवाली से एक दिन पहले नरकासुर का वध किया और 16,000 कन्याओं को मुक्त कराया। यह विजय “नरक चतुर्दशी” के रूप में मनाई जाती है।

दीवाली क्यों मनाई जाती है | Significance of Diwali

धार्मिक महत्व

  • Significance of Diwali धार्मिक दृष्टि से बहुत बड़ा है।
  • राम भक्तों के लिए यह भगवान राम के अयोध्या आगमन का दिन है।
  • कृष्ण भक्तों के लिए यह नरकासुर वध की स्मृति है।
  • वैष्णव परंपरा में इसे लक्ष्मी जी का जन्मदिन माना जाता है।

सांस्कृतिक महत्व

दीवाली का महत्व केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है। यह समय घर की सफाई, सजावट, नए कपड़े और रिश्तों को संवारने का अवसर होता है। इस दौरान मिठाइयों का आदान-प्रदान और अपनों से मिलने-जुलने की परंपरा रिश्तों में मिठास लाती है।

आर्थिक महत्व

History of Diwali से जुड़ा एक तथ्य यह भी है कि यह व्यापारियों के लिए नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत होती है। इस दिन “चोपड़ा पूजन” कर बहीखातों की शुरुआत की जाती है। सोना-चांदी, बर्तन और नई चीजों की खरीदारी को शुभ माना जाता है।

आध्यात्मिक दृष्टि से दीवाली का महत्व

आध्यात्मिक रूप से, दीवाली का महत्व आत्मा के भीतर के अंधकार को दूर कर ज्ञान और सत्य के प्रकाश को अपनाने का संदेश देता है।

  • दीपक का प्रकाश ज्ञान और धर्म का प्रतीक है।
  • यह पर्व हमें लोभ, क्रोध, और ईर्ष्या जैसे नकारात्मक भावों को त्यागकर सकारात्मकता अपनाने की प्रेरणा देता है।

दीवाली के पांच दिन और उनका महत्व

  • धनतेरस – धन, स्वास्थ्य और सौभाग्य के लिए खरीदारी का दिन।
  • नरक चतुर्दशी – बुराई पर अच्छाई की जीत और मन-शरीर की शुद्धि।
  • लक्ष्मी पूजन – धन, सुख और समृद्धि की देवी की आराधना।
  • गोवर्धन पूजा – भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की स्मृति।
  • भाई दूज – भाई-बहन के प्रेम और सुरक्षा का पर्व।

दीवाली और समाज

दीवाली का महत्व सामाजिक दृष्टि से भी गहरा है। यह त्योहार लोगों को एक-दूसरे के करीब लाता है। समाज में एकता, भाईचारा और प्रेम का संदेश फैलता है।

दीवाली और पर्यावरण

आज के समय में, दीवाली को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से मनाना भी जरूरी है। पटाखों के बजाय दीयों, फूलों और सजावट के जरिए त्योहार को सुंदर बनाना हमारे स्वास्थ्य और प्रकृति दोनों के लिए अच्छा है।

निष्कर्ष: रोशनी से भरा जीवन

दीवाली का महत्व सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि जीवन जीने का संदेश है। यह हमें सिखाता है कि चाहे जीवन कितना भी अंधकारमय क्यों न हो, एक दीपक भी आशा की किरण जगा सकता है।
दीवाली हमें अपनों के साथ खुशियां बांटने, रिश्तों को मजबूत करने और जीवन में नई शुरुआत करने का अवसर देती है। जब दीप जलते हैं, तो वह सिर्फ घर को नहीं, बल्कि दिलों को भी रोशन कर देते हैं।

FAQ: दीवाली से जुड़े सामान्य प्रश्न

दीवाली क्यों मनाई जाती है?

भगवान राम के अयोध्या लौटने, माँ लक्ष्मी के प्रकट होने और बुराई पर अच्छाई की जीत की स्मृति में।

दीवाली कितने दिन का त्योहार है?

पांच दिन – धनतेरस से भाई दूज तक।

दीवाली पर लक्ष्मी पूजन क्यों किया जाता है?

क्योंकि समुद्र मंथन के दिन माँ लक्ष्मी प्रकट हुई थीं।

क्या दीवाली सिर्फ हिंदू त्योहार है?

मुख्य रूप से हिंदू त्योहार है, लेकिन जैन, सिख और बौद्ध धर्म में भी इसका अलग महत्व है।

दीवाली का आध्यात्मिक संदेश क्या है?

अंधकार से प्रकाश और नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर बढ़ना।

दीवाली का आर्थिक महत्व क्या है?

यह व्यापारियों के लिए नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत और शुभ खरीदारी का समय है।

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