रक्षाबंधन, जिसे आम बोलचाल में राखी भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह केवल भाई-बहन के प्रेम और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में नहीं, बल्कि धार्मिक, ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व भी रखता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस पर्व की शुरुआत कैसे हुई थी? इसका इतिहास कितना पुराना है?

इस लेख में हम जानेंगे रक्षाबंधन का इतिहास, इसके पौराणिक और ऐतिहासिक संदर्भ, और आज के समय में इसका सांस्कृतिक महत्व।
रक्षाबंधन का पौराणिक इतिहास (Mythological Raksha Bandhan History in Hindi)
1. द्रौपदी और श्रीकृष्ण की कथा
महाभारत में एक प्रसिद्ध कथा है जिसमें द्रौपदी ने भगवान श्रीकृष्ण की कटी हुई ऊँगली से बहते खून को रोकने के लिए अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़ कर बाँधा था। इस प्रेम और त्याग के बदले श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को सदैव रक्षा का वचन दिया। इसे रक्षाबंधन की सबसे शुरुआती झलक माना जाता है।
2. इंद्र और इंद्राणी की कथा
एक और कथा के अनुसार, जब देवताओं और असुरों के बीच युद्ध चल रहा था, तो इंद्राणी (देवेंद्र की पत्नी) ने इंद्र की कलाई पर रक्षासूत्र बांधा था जिससे उन्हें विजय प्राप्त हुई। इस रक्षासूत्र को “राखी” की मूल भावना से जोड़ा जाता है।
इतिहास में रक्षाबंधन (Raksha Bandhan History in Hindi)
1. राजा हुमायूं और रानी कर्णावती
राजस्थान की रानी कर्णावती ने मुग़ल सम्राट हुमायूं को राखी भेजकर रक्षा का वचन लिया था जब चित्तौड़ पर आक्रमण का संकट मंडरा रहा था। हुमायूं ने राखी का मान रखते हुए कर्णावती की रक्षा के लिए अपनी सेना भेज दी। यह घटना बताती है कि रक्षाबंधन केवल भाई-बहन का त्योहार ही नहीं, राजनीतिक और सामाजिक गठबंधन का भी प्रतीक रहा है।
2. रक्षाबंधन और स्वतंत्रता संग्राम
रवींद्रनाथ टैगोर ने बंगाल विभाजन के समय लोगों को एकजुट करने के लिए रक्षाबंधन का उपयोग किया था। उन्होंने हिंदू और मुस्लिमों को राखी बांधकर एकता और भाईचारे का संदेश दिया था।
रक्षाबंधन का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है
इस दिन बहन अपने भाई की लंबी उम्र और खुशहाली की प्रार्थना करती है, और भाई जीवन भर उसकी रक्षा करने का वचन देता है।
परिवार में एकता और प्रेम का संदेश
रक्षाबंधन सिर्फ भाई-बहन तक सीमित नहीं, कई लोग इसे अपने चचेरे-तहेरे रिश्तों में भी मनाते हैं। इससे पारिवारिक संबंधों में मजबूती आती है।
सांस्कृतिक पहचान और परंपरा
भारत के अलावा Nepal, Mauritius, और Fiji जैसे देशों में भी यह पर्व मनाया जाता है, जो भारतीय संस्कृति की वैश्विक पहचान को दर्शाता है।
रक्षाबंधन 2025 में कब है? (Raksha Bandhan Date 2025)
रक्षाबंधन 2025 में 18 अगस्त, सोमवार को मनाया जाएगा।
पुर्णिमा तिथि: 18 अगस्त 2025 (शुक्रवार)
शुभ मुहूर्त: सुबह 10:28 से दोपहर 01:55 तक
आज के समय में रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है?
- बहनें भाई को राखी बांधती हैं
- भाई उन्हें गिफ्ट देता है (cash, clothes, electronics, jewelry, etc.)
- WhatsApp और ऑनलाइन gifting options के ज़रिए Digital Rakhi का चलन भी बढ़ रहा है
- दूर रहने वाले भाई-बहन Amazon, Flipkart, IGP जैसी sites से gift delivery कराते हैं
रक्षाबंधन से जुड़ी रोचक जानकारियाँ (Interesting Facts)
- भारत में डाक विभाग हर साल करोड़ों राखियाँ डिलीवर करता है
- कई लड़कियाँ Indian Army जवानों को राखी भेजती हैं
- आजकल eco-friendly राखियाँ का भी trend है
निष्कर्ष (Conclusion)
रक्षाबंधन केवल एक रस्म नहीं बल्कि संस्कार, संस्कृति और संवेदनाओं का संगम है। इसका इतिहास गवाह है कि यह पर्व समय के साथ और भी समृद्ध होता गया है। चाहे वह श्रीकृष्ण-द्रौपदी की कथा हो या हुमायूं-कर्णावती का प्रसंग — हर कहानी में एक ही बात उभरती है: रक्षा का वचन और रिश्तों की गहराई।
